शुल्क का बखेड़ा: ट्रम्प और व्यापार पर दंडात्मक शुल्क

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कनाडा, मैक्सिको और चीन के साथ होने वाले व्यापार पर कई दंडात्मक शुल्क लागू करके वैश्विक स्तर पर खलबली पैदा कर दी है और साथ ही आने वाले महीनों में अन्य व्यापारिक साझेदारों पर और भी ज्यादा कर लगाने का वादा किया है। लिहाजा जापान, दक्षिण कोरिया और पूरे एशिया के बाजारों में हलचल मच गई है क्योंकि उत्तरी अमेरिका के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं पर असर पड़ने की आशंका चरम पर पहुंच गई है, खासकर ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में, जहां दशकों से विदेशी निवेश की दमदार मौजूदगी रही है। पिछले हफ्ते के अंत में, ट्रम्प ने तीन उन कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए जिनके जरिए कनाडा और मैक्सिको के सामानों पर 25 फीसदी का शुल्क आयद किया गया। सिर्फ कनाडा के ऊर्जा उत्पादों को बख्शा गया – उनपर 10 फीसदी कर लागू किया जाएगा। चुनाव अभियान के दौरान ट्रम्प द्वारा किये गये वादों के अनुरूप, व्हाइट हाउस ने चीन से आने वाले सामानों पर 10 फीसदी का कर लगाने का भी एलान किया। नाराजगी भरे जवाब में, बीजिंग ने कहा कि वह “गलत आचरण” के लिए अमेरिका के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में मुकदमा दायर करेगा। उसने यह भी कहा कि वह “जरूरी जवाबी कदम उठाएगा…”। उधर, ओटावा और मैक्सिको सिटी ने चेतावनी दी कि जवाबी शुल्क जल्द ही आयद किए जायेंगे। इसके बाद ट्रम्प द्वारा मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम को किए गए टेलीफोन कॉल के चलते इन शुल्कों के लागू होने से पहले एक महीने के विराम का एलान हुआ और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से भी ट्रम्प की हुई बातचीत के साथ व्हाइट हाउस एक किस्म का संतुलन साधता नजर आया। इस बीच, ट्रम्प ने कहा है कि उनका अगला निशाना यूरोपीय संघ है। यह अलग बात है कि ब्रिटेन विभिन्न मसलों पर वाशिंगटन से थोड़ी सी राहत हासिल करता हुआ दिखाई दिया।

जहां शुल्क परंपरागत रूप से संयमित तरीके से और ज्यादातर एक देश द्वारा लगाए गए कृत्रिम मूल्य संबंधी बाधाओं के संदर्भ में व्यापार असंतुलन के वैसे मामलों में लागू किए जाते हैं जो उसके व्यापारिक भागीदारों को प्रभावित करते हैं, वहीं ट्रम्प के व्हाइट हाउस की तरफ से अपने शुल्क योजना को लेकर यह आधिकारिक तर्क दिया गया कि यह कदम “घातक फेंटानिल सहित अवैध एलियंस एवं दवाओं द्वारा पैदा हुए असाधारण खतरों” से उपजे “राष्ट्रीय आपात स्थिति” से निपटेगा। एक ओर, यह ऐसे वक्त में अन्य देशों के लिए अमेरिकी शुल्कों का जवाब देने और विश्व व्यापार को धीमा करने के रास्ते खोलता है जब वैश्विक आर्थिक विकास की संभावनाएं नाजुक बनी हुई हैं। वहीं यह कदम इस बात का भी संकेत देता है कि असंबद्ध अंतर-देशीय विवादों के प्रतिकार के रूप में शुल्क को हथियार बनाना राष्ट्रों के लिए स्वीकार्य है। कुछ ही लोग अमेरिका की “हास्यास्पद खुली सीमाओं” पर कार्रवाई करने के ट्रम्प प्रशासन के विशेषाधिकार से इनकार करेंगे – लेकिन अधिकांश लोगों ने यही कल्पना की होगी कि इस प्रक्रिया में परस्पर विनाशकारी शुल्कों के बजाय सख्ती से कानून को अमल में लाने वाली गतिविधियां आजमाई जायेंगी। इन शुल्कों का निश्चित रूप से उन कीमतों पर नुकसानदायक असर पड़ेगा जिसका भुगतान अमेरिकी उपभोक्ता आयातित उत्पादों के लिए करते हैं। इसके अलावा, विभिन्न उद्योगों में उच्च इनपुट कीमतों के जरिए भी मुद्रास्फीति संबंधी व्यापक असर पड़ेगा। इससे पहले कि इस बात का एहसास हो कि आव्रजन और नशीली दवाओं के प्रवाह को रोकने के लिए शुल्क बमुश्किल ही कोई रामबाण है, शायद अमेरिका के लोगों को पूरे चार साल आर्थिक पीड़ा झेलनी पड़ेगी।

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