​अस्पष्ट एजेंडा: डोनाल्ड ट्रम्प और उनका नीतिगत एजेंडा

संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नीतिगत एजेंडे को उस समय एक गहरा राजनीतिक झटका लगा, जब उनके प्रशासन के प्रबंधन एवं बजट कार्यालय [ऑफिस ऑफ मैनेजमेंट एंड बजट (ओएमबी)] द्वारा जारी एक विवादास्पद ज्ञापन (मेमो) पर एक जिला न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा रोक लगा दी गई। उक्त मेमो में कई सामाजिक सेवाओं के लिए जारी की जाने वाली संघीय निधियों को रोकने का प्रस्ताव था। इस आदेश से कौन से कार्यक्रम प्रभावित होंगे, इसको लेकर फैले भ्रम और अराजकता के मद्देनजर, व्हाइट हाउस ने मेमो को रद्द कर दिया, जोकि पीछे हटने का एक मजबूर कदम था। इस हफ्ते की शुरुआत में जब ओएमबी मेमो जाहिर तौर पर “व्हाइट हाउस के प्रमुख अधिकारियों द्वारा जांचे गये बिना” प्रकाशित किया गया, तो लाखों कम आय वाले अमेरिकियों के लिए स्वास्थ्य संबंधी देखभाल से जुड़ी विभिन्न पहल – जिसमें मेडिकेड प्रणाली भी शामिल है – के लिए खरबों डॉलर के संघीय अनुदान एवं ऋण संभावित रूप से बंद कर दिए गए। ऐसा प्रतीत हुआ कि स्कूलों, अस्पतालों व आश्रयों और ज्यादातर मामलों में कमजोर समूहों को सहायता प्रदान करने वाली नीतियों के लिए जारी किया जाने वाला धन भी खतरे में पड़ गया। प्रशासन ने अब जाकर साफ किया है कि इस रोक से पूरक पोषण सहायता कार्यक्रम और छात्र ऋण जैसे लाभ प्रभावित नहीं होंगे – न ही मेडिकेयर, मेडिकेड एवं सामाजिक सुरक्षा भुगतान एवं छोटे व्यवसायियों व किसानों के लिए धन, पेल ग्रांट, हेड स्टार्ट, किराये संबंधी सहायता और इसी तरह के अन्य कार्यक्रमों में खलल पड़ेगा। पीछे हटने के बावजूद, ट्रम्प प्रशासन ने दोहराया कि वह व्यापक स्तर पर, सरकारी बर्बादी और अनावश्यक नियमों में कटौती की दिशा में संघीय फंडिंग आवंटन की समीक्षा एवं पुनर्गणना करने के प्रति राष्ट्रपति की प्रतिबद्धता से समझौता नहीं करेगा। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने सोशल मीडिया पर कहा, “यह संघीय फंडिंग पर रोक को रद्द करना नहीं है। इसका आशय सिर्फ मेमो को रद्द किए जाने से है”।

यों तो इसमें कोई संदेह नहीं था कि ट्रम्प अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान कुछ सामाजिक सेवाओं पर सार्वजनिक व्यय में कटौती करने की कोशिश करेंगे, लेकिन इस कटौती के प्रति तदर्थ और स्पष्ट रूप से अव्यवस्थित नजरिए ने कुछ रिपब्लिकन समेत कई लोगों को चकित कर दिया। ओएमबी मेमो ने कार्यकारी आदेशों के जरिए कांग्रेस, जो कि सभी क्षेत्रों में विशिष्ट परियोजनाओं के लिए विनियोजन और धन निर्धारित करने का प्रमुख वाहक है, की पारंपरिक भूमिका को बदलने की चाहत रखने वाले ट्रम्प के आधिकारिक हुक्मनामे के भूत की ओर भी इंगित किया। यह एक नाजुक रास्ता है और अगर यह जारी रहा तो इसे कांग्रेस के सांसदों की ओर से और ज्यादा विरोध झेलना पड़ सकता है। इस बात को लेकर भी चिंता है कि ट्रम्प ने अपने इर्द-गिर्द वैसे अनुचरों को इकठ्ठा कर लिया है, जो तथाकथित ‘प्रोजेक्ट 2025’ से जुड़े विचारों के हामी हैं। इस प्रोजेक्ट को कुछ लोग दक्षिणपंथी एजेंडा मानते हैं, जो वास्तव में तात्कालिक राजनीतिक प्राथमिकताओं को पूरा करने में समर्थ होने के बजाय ज्यादा विभाजनकारी साबित हो सकता है। भले ही ट्रम्प कार्मिकों के प्रबंधन में ज्यादा कुशल हो गए हों, लेकिन यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि वह आने वाले चार वर्षों के दौरान अमेरिकी राजनीति के कड़वे ध्रुवीकरण को न बढ़ाएं।

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