पहला उपाय: डोनाल्ड ट्रम्प का सामूहिक निर्वासन अभियान

डोनाल्ड ट्रम्प के सामूहिक निर्वासन अभियान में रविवार को पहली अड़चन उस वक्त आई जब कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने प्रवासियों को ले जा रहे संयुक्त राज्य अमेरिका के दो सैन्य विमानों को उतरने की इजाजत देने से इनकार कर दिया। नाराज ट्रम्प ने एलान किया कि अमेरिका सभी कोलंबियाई सामानों पर 25 फीसदी शुल्क लगाएगा, जिसे बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया जाएगा। अमेरिका ने बैंकिंग व वित्तीय प्रतिबंध लगाने और कोलंबिया के अधिकारियों एवं सहयोगियों की यात्रा पर प्रतिबंध का आदेश जारी करने की भी धमकी दी। एक पूर्व गुरिल्ला रहे पेट्रो ने यह कहते हुए जवाबी प्रतिक्रिया दी कि कोलंबिया भी अमेरिकी सामानों पर 50 फीसदी तक शुल्क लगाएगा और “गुलाम रखने वाले गोरों से हाथ मिलाने” से इनकार कर दिया। लेकिन दबाव में आकर बोगोटा ने आखिरकार प्रवासियों को “गरिमा और सम्मान के साथ” वापस लेना स्वीकार कर लिया। यह व्यापार युद्ध दोनों देशों के लिए बुरी खबर होती। दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 2022 में 53.5 बिलियन डॉलर का है, जिसमें अमेरिका के पक्ष में चार बिलियन डॉलर का अधिशेष है। उच्च शुल्क कोलंबिया के लिए एक बड़ा झटका होता, क्योंकि अमेरिका उसका सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। शुल्क और वित्तीय व राजनीतिक प्रतिबंधों के जरिए अमेरिका कोलंबिया की अर्थव्यवस्था को पंगु बना सकता है और उसकी राजनीति को एक ऐसे समय में अस्थिर कर सकता है जब गुरिल्लाओं के साथ उसकी लड़ाई थोड़े समय की शांति के बाद फिर से बढ़ रही है। बिना किसी हैरत के, पेट्रो पीछे हट गए और व्हाइट हाउस की मर्जी के मुताबिक “उसकी तमाम शर्तों” को मान लेने को राजी हो गए।

कोलंबिया और अन्य दक्षिण अमेरिकी देश हाल के सालों में अमेरिका से बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों को वापस ले जा रहे हैं। जनवरी में, अमेरिका से उसके दक्षिणी पड़ोसी देशों के लिए 90 निर्वासन से जुड़ी उड़ानें भरीं गईं, जिनमें से आठ कोलंबिया में उतरीं। लेकिन जिस बात ने एक नियमित कवायद को विवाद में बदल दिया, वह था ट्रम्प प्रशासन द्वारा निर्वासन की प्रक्रिया को अंजाम देने का तौर-तरीका – ज्यादातर मामलों में सैन्य विमानों का इस्तेमाल किया गया, जिससे कोलंबिया के लोगों में नाराजगी फैली। पेट्रो ने अमेरिका द्वारा प्रवासियों के साथ किए जाने वाले सलूक पर भी चिंता जताई। इससे पहले, ब्राजील ने भी अपने निर्वासित नागरिकों के साथ “अपमानजनक व्यवहार” की शिकायतें उठाई थीं। ब्राजील के अधिकारियों के मुताबिक, उन्हेहथकड़ी लगाई गई थी और उनमें से कुछ को उड़ान के दौरान पानी नहीं दिया गया था या शौचालय का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी गई थी। लेकिन ट्रम्प को इसकी कोई परवाह नहीं है। वह कोलंबिया के बहाने एक ऐसा उदाहरण सामने रखना चाहते थे ताकि अन्य पड़ोसी देश सामूहिक निर्वासन के उनके प्रबंधन को चुनौती न दें। भले ही उन्होंने अमेरिका की आर्थिक ताकत का इस्तेमाल करके कोलंबिया को फिलहाल पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया हो, लेकिन इस किस्म की जबरदस्ती दीर्घकालिक अवधि में उस पूरे इलाके में प्रतिकूल असर डाल सकती है, जहां अमेरिका ने हमेशा अपने भू-राजनैतिक आधिपत्य को बनाए रखने की कोशिश की है। और जिन अमानवीय स्थितियों में रोजाना सैकड़ों प्रवासियों को निर्वासित किया जा रहा है, वह मानवाधिकारों की रक्षा के अमेरिका के बड़े-बड़े दावों पर एक धब्बा है। इस संकट से निपटने का बेहतर तरीका कूटनीति है। शुल्क और प्रतिबंधों की धमकियों के जरिए अन्य देशों पर अपनी मर्जी थोपने के बजाय, ट्रम्प राजनयिक चैनल का इस्तेमाल करके सर्वसम्मति हासिल करते हुए अपनी नीति को कहीं ज्यादा सौहार्दपूर्ण तरीके से लागू कर सकते हैं। लेकिन अफ़सोस, ट्रम्प की नजर में ज़बरदस्ती ही पहला उपाय है।ं

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